Introduction
In Luke 10:22, JESUS makes a powerful statement about HIS relationship with GOD THE FATHER and how we can truly know GOD. This verse teaches us that knowing GOD is not just about human effort but about JESUS revealing HIMSELF to us.
The Verse:
“All things have been delivered to Me by My Father, and no one knows who the Son is except the Father, and who the Father is except the Son, and the one to whom the Son wills to reveal Him.” (Luke 10:22)
1. JESUS Has All Authority
The first part of this verse—“All things have been delivered to Me by My Father”—shows that GOD THE FATHER has given JESUS complete authority over everything.
This means:
• JESUS is not just a good teacher or prophet; HE is the SON OF GOD with full power and authority.
• HE has the power to forgive sins, give eternal life, and judge the world.
• HE knows everything about GOD’S plan and purpose.
2. Only JESUS Truly Knows THE FATHER
The next part—“No one knows who the Son is except the Father, and who the Father is except the Son”—teaches us that the relationship between JESUS and GOD THE FATHER is very special.
• No one can fully understand who JESUS is except GOD THE FATHER. People had different opinions about JESUS, but only GOD knew HIS true identity.
• In the same way, only JESUS truly knows GOD THE FATHER. People may have their own ideas about GOD, but JESUS is the only one who truly understands HIM.
3. JESUS Reveals GOD to Us
The last part—“and the one to whom the Son wills to reveal Him.”—is very important. It tells us that no one can know GOD unless JESUS reveals HIM to them.
• Many people try to find GOD through religion, philosophy, or their own efforts. But JESUS makes it clear that only HE can reveal GOD to us.
• Knowing GOD is not just about reading books or gaining knowledge; it is about having a personal relationship with JESUS.
• JESUS reveals GOD to those who have faith in HIM and seek HIM with a humble heart.
What This Means for Us
1. JESUS is the Only Way to GOD – In John 14:6, JESUS says, “I am the way, the truth, and the life. No one comes to the Father except through Me.” This means we can only know GOD through JESUS.
2. Salvation is a Gift – We cannot earn our way to GOD by doing good works or being religious. Knowing GOD is a gift that JESUS gives to those who trust in HIM.
3. We Must Have Faith and Humility – GOD reveals HIMSELF to those who have childlike faith and seek HIM with an open heart (Luke 10:21).
Final Thoughts
This verse teaches us that knowing GOD is not about human wisdom but about JESUS revealing HIMSELF to us. If we want to know GOD deeply, we must come to JESUS with a humble heart and ask HIM to show us the truth. HE is ready to reveal GOD to all who truly seek HIM.
May GOD Bless our Readers!
हिन्दी अनुवाद
यीशु के द्वारा परमेश्वर को जानना – लूका 10:22 पर एक सरल विचार
परिचय
लूका 10:22 में, यीशु बताते हैं कि केवल वही हमें परमेश्वर को प्रकट कर सकते हैं। यह पद हमें सिखाता है कि परमेश्वर को जानना केवल हमारे प्रयासों से संभव नहीं, बल्कि यीशु की कृपा से संभव है।
पद:
“मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है। कोई नहीं जानता कि पुत्र कौन है, पर केवल पिता; और न कोई जानता है कि पिता कौन है, पर केवल पुत्र और वह जिस पर पुत्र उसे प्रकट करना चाहे।” (लूका 10:22)
1. यीशु को संपूर्ण अधिकार दिया गया है
पहला भाग—“मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है।”—यह दर्शाता है कि परमेश्वर पिता ने यीशु को संपूर्ण अधिकार दिया है।
इसका अर्थ यह है कि:
• यीशु केवल एक अच्छे शिक्षक या भविष्यवक्ता नहीं हैं, बल्कि वे परमेश्वर के पुत्र हैं जिन्हें सब कुछ सौंपा गया है।
• वे ही हमें पापों से मुक्त कर सकते हैं, हमें अनन्त जीवन दे सकते हैं और न्याय कर सकते हैं।
• वे परमेश्वर की योजना और इच्छा को पूरी तरह से जानते हैं।
2. केवल यीशु ही पिता को पूरी तरह से जानते हैं
अगला भाग—“कोई नहीं जानता कि पुत्र कौन है, पर केवल पिता; और न कोई जानता है कि पिता कौन है, पर केवल पुत्र।”—हमें यह सिखाता है कि यीशु और परमेश्वर पिता का संबंध बहुत विशेष है।
• केवल परमेश्वर पिता ही यीशु को पूरी तरह से जानते हैं। लोगों के अलग-अलग विचार थे कि यीशु कौन हैं, लेकिन केवल परमेश्वर पिता ही उनकी वास्तविक पहचान को पूरी तरह समझते थे।
• इसी तरह, केवल यीशु ही परमेश्वर पिता को पूरी तरह से जानते हैं। बहुत से लोग परमेश्वर के बारे में अलग-अलग विचार रखते हैं, लेकिन केवल यीशु ही उन्हें सही रूप में प्रकट कर सकते हैं।
3. यीशु हमें परमेश्वर को प्रकट करते हैं
अंतिम भाग—“और वह जिस पर पुत्र उसे प्रकट करना चाहे।”—यह बताता है कि परमेश्वर को केवल वही जान सकता है जिसे यीशु प्रकट करना चाहें।
• बहुत से लोग परमेश्वर को धर्म, दर्शन, या अपने प्रयासों से खोजने का प्रयास करते हैं। लेकिन यीशु स्पष्ट रूप से कहते हैं कि केवल वे ही पिता को प्रकट कर सकते हैं।
• परमेश्वर को जानना केवल किताबें पढ़ने या ज्ञान प्राप्त करने से संभव नहीं है; इसके लिए हमें यीशु के साथ व्यक्तिगत संबंध बनाना होगा।
• यीशु उन्हें परमेश्वर को प्रकट करते हैं जो विनम्रता और विश्वास के साथ उन्हें खोजते हैं।
इसका हमारे जीवन में क्या अर्थ है?
1. यीशु ही परमेश्वर तक पहुँचने का एकमात्र मार्ग हैं – यूहन्ना 14:6 में यीशु कहते हैं, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता।” इसका अर्थ है कि केवल यीशु के द्वारा ही हम परमेश्वर को जान सकते हैं।
2. उद्धार एक वरदान है – हम अपने अच्छे कर्मों या धार्मिकता से परमेश्वर तक नहीं पहुँच सकते। केवल यीशु हमें उद्धार और परमेश्वर का ज्ञान दे सकते हैं।
3. हमें विश्वास और विनम्रता रखनी चाहिए – परमेश्वर स्वयं को उन्हीं पर प्रकट करते हैं जो बालक-समान विश्वास रखते हैं और सच्चे मन से उनकी खोज करते हैं (लूका 10:21)।
अंतिम विचार
यह पद हमें सिखाता है कि परमेश्वर को जानना हमारे ज्ञान पर निर्भर नहीं करता, बल्कि इस पर निर्भर करता है कि यीशु हमें उन्हें प्रकट करें। यदि हम परमेश्वर को गहराई से जानना चाहते हैं, तो हमें यीशु के पास विनम्र हृदय से जाना होगा और उनसे सत्य को प्रकट करने के लिए प्रार्थना करनी होगी। यीशु उन्हें परमेश्वर को प्रकट करने के लिए तैयार हैं, जो सच्चे मन से उनकी खोज करते हैं।
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